राजस्थान पत्रिका ला रहा है जनप्रहरी अभियान। यदि आप राजस्थान से हैं और जन-सरपंच और जन-पार्षद बनना चाहते हैं तो आज ही आवेदन करें।

अभियान के बारे में

क्या है पत्रिका का जनप्रहरी अभियान?


पत्रिका का जनप्रहरी अभियान बदलाव के नायकों के लिए एक ऐसा मंच है जो उन्हें राजनीति और समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाएगा। यह अभियान प्रणालीगत तरीके से ऐसे व्यक्तियों को चुनेगा एवं प्रशिक्षण देगा, जो देश में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। पत्रिका के जनप्रहरी अभियान में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पंजीकृत वोटर्स आवेदन कर सकते हैं।

भारतीय राजनीति को 21वीं शताब्दी की ज़रूरतों के अनुरूप ढलने के लिए प्रगतिशील एवं उर्जात्मक होने की आवश्यकता है। पत्रिका का मानना है कि राजनीति में तभी सुधार आ सकता है जब ज़्यादा से ज़्यादा नागरिक राजनैतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भूमिका निभाएं। अभियान का ध्येय नागरिकों की भागीदारी से ऐसे नेतृत्व का निर्माण करना है जो स्वच्छ, समावेशी और प्रशिक्षित हो।

क्या जनप्रहरियों का दायरा केवल राजनीति तक सीमित रहेगा?


जनप्रहरी बनने के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि आवेदक चुनाव लड़ने का इच्छुक हो। वह अपने वार्ड/क्षेत्र, जिले, प्रदेश और देश के लिए ऐसे चेहरे हो सकते है जो किसी भी क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कार्य करना चाहते हैं।

हमारा उद्देश्य


  • राजनीति में आने वाले नए चेहरों के लिए एक मंच का निर्माण करना
  • राजनैतिक और सामाजिक परिवर्तन के नायकों के सामने आने वाले अवरोध जैसे कि प्रशिक्षण और जनाधार की कमी को दूर करना
  • राजनीति से अपराध, वंशवाद और बाहुबल को निकालना
  • राजनीति को एक ऐसे पेशे की तरह दर्शाना जिसमें कौशल और प्रशिक्षण की आवश्यकता हैा

चेंजमेकर्स 1.0: 2018



राजस्थान में 80

मध्य प्रदेश में 30



चेंजमेकर्स जिन्होंने 2018 में विधान सभा चुनाव लड़ा


राजस्थान और मध्य प्रदेश में 32



चेंजमेकर्स जिन्होंने 2018 में विधान सभा चुनाव जीता

48,000 पंजीकरण

8 लाख से ज्यादा ऑनलाइन वोट


बड़े स्तर पर जनता की
भागीदारी

BJP 21
Congress 36
Other 82

राजस्थान और मध्य प्रदेश में ऐसे चेंज मेकर्स की संख्या जिन्हें 2018 में विधान सभा चुनाव का टिकट मिला




  • 48 विजेता पार्षद



    चेंजमेकर्स जो 2019 के राजस्थान स्थानीय निकाय चुनाव में विजयी हुए

  • 159 सरपंच, 3 जिला प्रमुख, 11 प्रधान, 38 जिला परिषद् और 100 पंचायत समिति सदस्य

    चेंजमेकर्स जो 2020 के राजस्थान पंचायत चुनाव में विजयी हुए

    101 विजेता पार्षद चेंजमेकर्स जो 2020 के राजस्थान स्थानीय निकाय चुनाव में विजयी हुए

    चेंजमेकर्स जो 2020 के राजस्थान स्थानीय निकाय चुनाव में विजयी हुए

    कैसे हुई अभियान की शुरुआत?


    भारत में अपराध और राजनीति की सांठ-गाँठ एक काफी बड़ी वास्तकविता है, लेकिन इस समस्या का समाधान करने के लिए नागरिक आम तौर पर आगे नहीं आते हैं। पत्रिका ने इस समस्या का संज्ञान लिया और साफ़ सुथरी छवि वाले नागरिकों को लाकर राजनीति को स्वच्छ करने का संकल्प लिया। इसी विचार से उत्पन्न हुआ चेंजमेकर अभियान, जिसका नारा है ‘आप उतरें तो राजनीति अच्छी है’। 4 अप्रैल 2018 को ‘चेंजमेकर्स : बदलाव के हीरो’ अभियान की शुरूवात हुई।

    अभियान किस प्रकार विकसित हुआ?


    मोबाइल एप्लिकेशन और वेबसाइट पोर्टल के माध्यम से आवेदनों को पंजीकृत किया गया। इस अभियान ने नागरिकों को तीन प्रकार से जोड़ा- चेंजमेकर्स: ऐसे व्यक्ति जो सक्रिय रूप से राजनीति में आना चाहते हैं; अभियान सहयोगी: ऐसे व्यक्ति जो चेंजमेकर्स की सहायता करना चाहते हैं, बिना राजनीति में उतरे; वोटर: जो अपना वोट देकर साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों का समर्थन करने का प्रण लेते हैं।
    "स्वच्छ करें राजनीति" अभियान के तहत कॉलेज के छात्रों, वकीलों, महिलाओं और नागरिकों के विभिन्न वर्गों की भागीदारी से सेमीनार और वाद-विवाद सभाएं आयोजित किये गए। चर्चा इन बिंदुओं के इर्द-गिर्द आधारित रही:
    • • उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता और आयु सीमा का महत्व

    • • समाज कल्याण के प्रति उम्मीदवारों का समर्पण

    • • राजनीतिक व्यवस्था से कुल और वंशवादी संकीर्णता का उन्मूलन

    • • उम्मीदवारों के स्थानीय निवास की प्रासंगिकता

    • • उम्मीदवारों की आर्थिक स्थिति के बारे में पारदर्शिता लाना

    • • अपने निर्वाचन क्षेत्र और देश के विकासात्मक रुझानों के बारे में उम्मीदवार की परिचितता

    मतदान के अधिकार और राजनीतिक प्रणाली में भागीदारी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष रूप से महिला सेमिनारों का आयोजन किया गया। शहरी और ग्रामीण स्तर पर जन सुनवाइयों का आयोजन हुआ जिसमें निम्नलिखित मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ: स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कार्य की समीक्षा, नागरिक विकास के मुद्दे और ऐसे स्थानीय नेताओं का चयन जिनको जनता के अनुसार चेंजमेकर बनना चाहिए।


    पंचायती राज की स्थापना


    2 अक्टूबर, 1959 को, महात्मा गांधी की 90वीं जयंती के अवसर पर, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हमारे देश में पंचायती राज की नींव रखी। यह ऐतिहासिक घटना राजस्थान के नागौर जिले में हुई। हमारा राज्य वह पहला राज्य बना जिसने सरकार के राजनीतिक विकेंद्रीकरण को देखा। इसने सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दिखाया कि उनके पास अपनी सरकार में भाग लेने की शक्ति है। यह नींव बाद में 1992 में 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों का आधार बनी, जिससे स्थानीय निकायों को संवैधानिक मान्यता मिली और इन पंचायतों और वार्डों में रहने वाले लोगों को आत्म-शासन के अधिकार मिले।

    पंचायत और नगर निकाय: जनता की समस्याओं का समाधान


    आम आदमी की रोजमर्रा की समस्याओं के निदान और जरूरतों की पूर्ति के लिए सरकारी तंत्र में पहला पायदान होते हैं पंचायत और नगर निकाय। इन दोनों स्तरों पर यदि राजनीति से हटकर जनता की भलाई के लिए संकल्पित लोग चुन कर आएं तो हर तरह की समस्याओं और अव्यवस्थाओं के शिकार गांवों और शहरों के मोहल्लों-कॉलोनियों का कायाकल्प हो सकता है।

    राजनीति और विकास की चुनौतियाँ


    हमने देखा है कि आमजन से सीधे जुड़े इन दोनों स्तरों पर राजनीति के चलते बिजली, पानी, सड़क, सफाई और स्वास्थ्य जैसा आम आदमी का कोई काम नहीं हो रहा है। यदि कुछ हो भी रहा है तो वह इसलिए कि तथाकथित विकास के ये काम होने पर नेताओं और अफसरों को कमीशन मिलता है। कमीशनखोरी से जो काम होता है उसकी गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि वह किसी उपयोग का नहीं रहता।

    बदलाव की जरूरत


    ऐसे में जरूरत है बड़े बदलाव की, जो इन दोनों स्तरों पर ईमानदार, कर्मठ और जुनूनी लोगों के चुन कर आने पर ही संभव है।

    राजस्थान पत्रिका की पहल


    राजस्थान पत्रिका अपने सामाजिक सरोकारों के तहत इस दिशा में प्रयासरत है। चैज मेकर और उसके बाद अब जन प्रहरी अभियान के तहत हम अच्छे लोगों को चुनाव के माध्यम से जनसेवा के लिए प्रेरित करते हैं। राजस्थान में नई सरकार ने एक राज्य-एक चुनाव का फैसला किया है, इसके तहत संभव है राज्य में पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव इसी साल के अंत में या अगले साल की पहली तिमाही के दौरान हों।

    जन प्रहरी चयन प्रक्रिया


    ऐसे में हम एक बार फिर से जन पहरियों के चयन की प्रक्रिया शुरू करने जा रहे हैं। इसके तहत राज्य के गांव-गांव और मोहल्ले मोहल्ले से उन लोगों को आगे लाने की कोशिश होगी, जो जनहित में ईमानदारी से काम करना चाहते हैं।

    आवेदन प्रक्रिया


    ऐसे लोग जो पंचायत के सरपंच या नगर निकाय के पार्षद का चुनाव लड़ना चाहते हैं वे संलग्न गूगल फार्म भर कर सबमिट करें। जो लोग खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, अपने चयन के बाद ऐसे अच्छे लोगों को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जो ईमानदारी से जनता की सेवा करना चाहते हैं।

    प्रशिक्षण और तैयारी


    चयनित जन प्रहरी पंचायतों में "जन सरपंच और शहरी निकायों में 'जन पार्षद" कहलाएंगे और उन्हें हम चुनाव कैसे लड़े, उसकी तैयारी कैसे करें कैसे लोगों का विश्वास जीतें, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके कैसे अपनी जीत की रणनीति बनाएं, आदि कई टॉपिक एक्सपर्ट्स से प्रशिक्षण दिलाने का प्रयास करेंगे ताकि वे चुनाव सफलतापूर्वक लड़ सके।